हमारा मानना है कि राजनीति में प्रतिद्वंद्वी को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए, दूसरे शब्दों में विरोधी को कभी कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। लेकिन यह बात हर किसी की समझ से बाहर है। कल राजनीति के नए रंगरूट कह रहे थे कि- “अरशद साहब की राजनीति का तो the end हो चुका है। उनका कहना था कि चेयरमैन वो बनेंगे नहीं और विधायकी वह लडेंगे नहीं।” अब उन्हें कौन समझाए कि राजनीति में कोई कमज़ोर नहीं होता, एक मामूली सी चींटी भी हाथी की मौत का कारण बन सकती है।
इस समय जो हालात हैं उनके मद्देनजर मौहम्मद इक़बाल, मौहम्मद अरशद, शेरबाज पठान, स्वामी ओमवेश, औऱ एक और साहब जिनका नाम किन्हीं कारणों से हम नहीं लिख रहे हैं, यह सभी लोग 2022 की पूरी तैयारी में लगे हुए हैं। भाजपा से भी वर्तमान विधायक महोदया श्रीमती कमलेश सैनी, अरविंद पप्पू सहित एक-दो जाट बिरादरी के नेताओं का नाम प्रमुखता सामने आ रहा है। इसमें एक नाम पूर्व सांसद भारतेंदु सिंह का भी सामने आ रहा है।
मौहम्मद अरशद के शुभचिंतक और उनके एक खास सलाहकार ने बहुत ही जिम्मेदारी और दृढ़ता के साथ भरी महफ़िल में कहा था कि इस बार भी मौहम्मद अरशद विधानसभा चुनाव में पूरी तैयारी के साथ अपनी दावेदारी ठोकेंगे। हालांकि उनके शुभचिंतकों का कहना है कि मौहम्मद अरशद सपा के टिकट की तैयारी में लगे हैं, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि उनकी खास तैयारी बसपा के टिकट के लिए हो रही है।
हमारे संज्ञान में यह भी आया है कि भाजपा के कुछ असंतुष्ट नेतागण भी गुपचुप तरीके से मौहम्मद अरशद से सम्पर्क साध रहे हैं। एक अन्य भाजपा नेता जो कि एक लंबे समय से भाजपा के टिकट की तैयारी कर रहे हैं वह भी अरशद साहब की चांदपुर से दावेदारी को शह देने में लगे हैं, क्योंकि अगर चुनाव त्रिकोणीय होता है तो निश्चित रूप से उसका सीधा लाभ भाजपा को होगा।
बहरहाल, राजनीतिक बिसात बिछाने की तैयारियां जोर-शोर से हो रही हैं और कुछ हिन्दू नेताओं का अरशद साहब के इर्द-गिर्द घूमना नई सम्भावनाओ को जन्म दे रहा है।
देखते हैं कि भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है।