एक राष्ट्रीय चैनल पर तथाकथित कश्मीरी पत्रकार माज़िद हैदरी ने एक डिबेट शो के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि – *”बाबर ने देश को ताकतवर बनाया और औरंगजेब ने देश को एकता प्रदान की।“*
माज़िद हैदरी जैसे मुगलों की यह नाजायज़ टेस्ट ट्यूब बेबीज शायद इस बात से अंजान हैं कि 362 वर्ष पहले सत्ता के लालची और कट्टरपंथी औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दाराशिकोह का सर कलम करवा दिया था। आज हम तालिबान की जिस अमानवीयता और हैवानियत का नंगा नाच अफगानिस्तान में देख रहे हैं, अबसे 362 वर्ष पहले वही क्रूरता और पाशविकता का सबसे बड़ा और पहला उदाहरण औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दाराशिकोह का सर कलम करवाकर दिया था। भारत के इतिहास में एक योद्धा और एक कवि के तौर पर दाराशिकोह का अपना महत्व है। भारत के इतिहास में दाराशिकोह को एक आदर्श मुसलमान माना जाता है। संस्कृत और फारसी के विद्वान दाराशिकोह ने गीता और 52 उपनिषदों का पहली बार संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया था। इसके बाद ही पूरी दुनिया भारतीय सनातन संस्कृति के महत्व को समझ पाई थी। लेकिन कट्टरपंथी तालिबानी आतंकियों और लुटेरों के आदर्श औरंगजेब ने दारा शिकोह का सिर धड़ से अलग कराकर क्रूरता और हैवानियत की सारी सीमाओं को लांघ दिया था।
यहां उल्लेखनीय है कि दाराशिकोह पर तत्कालीन कट्टरपंथी तालिबानी मानसिकता के आतंकियों ने बुतपरस्त (मूर्तिपूजक) होने का आरोप लगाया था। इसी बात का फायदा उठाकर मौकापरस्त मक्कार और धूर्त सत्तालोलुप औरंगजेब ने विद्रोह किया और खुद बादशाह बन गया। 30 अगस्त, 1659 को दिल्ली में दारा शिकोह को मौत की सजा दी गई थी। दारा का सिर काटकर आगरा ले जाया गया और धड़ को दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के परिसर में दफनाया गया था। मुगलकाल में दाराशिकोह के अतिरिक्त अन्य ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता, जिसमें किसी मुगल शहजादे का सिर कलम कर सिर्फ धड़ दफनाया गया हो। दारा शिकोह की इस क्रूरतम हत्या के पीछे वही तालिबानी विचारधारा थी जिसे आज माज़िद हैदरी, शोएब जमाई, शफीकुर्रहमान बर्क़, सज्जाद नौमानी और मुनव्वर राना जैसे तमाम कट्टरपंथी सींचने में लगे हैं।
दाराशिकोह सही मायने में एक धर्मनिरपेक्ष और विद्वान व्यक्ति था, लेकिन उसकी विद्वता और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा उस समय के तालिबानियों को रत्तीभर रास नहीं आई। आज जो लोग अपने को लिबरल बताते हैं, धर्मनिरपेक्षता और संविधान की दुहाई देते हैं, वह तमाम लिब्रांडू यह बताएं कि दारा शिकोह जैसे धर्मनिरपेक्ष विद्वान का निर्मम हत्यारा आतंकी औरंगजेब क्या किसी सच्चे और ईमानदार धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति का आदर्श हो सकता है?
नाथुराम गोड्से को खूनी हत्यारा और मुगल आक्रांताओं को शांतिदूत बताने वाले माज़िद हैदरी जैसे तमाम “लिब्रांडू बुद्धिजीवियों” को यह मालूम होना चाहिये कि
जब बाबर इस देश में आया था तब माज़िद हैदरी जैसों के पूर्वज श्रीराम अथवा श्रीकृष्ण के भक्त रहे होंगे। क्या माज़िद हैदरी, निर्देशक कबीर खान, कथित इस्लामिक स्कॉलर यह बता सकते हैं कि उनका खानदान बाबर और औरंगजेब की किस पीढ़ी से है?
भारत दाराशिकोह के बलिदान को सदैव याद रखेगा। आज भी इस देश में माज़िद हैदरी जैसे औरंगजेब अपने हाथों में कट्टरपंथ की नंगी तलवार लेकर वसीम रिज़वी जैसे तमाम दारा शिकोह के सर कलम करने को तैयार बैठे हैं। हमें आज ऐसे सभी दारा शिकोह की रक्षा करने हेतु दृढ़ संकल्प लेना होगा, तभी इस देश से औरंगजेब की नाजायज़ टेस्ट ट्यूब बेबीज का सफाया हो सकेगा।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
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