स्वामी यति नरसिंहानन्द सरस्वती ने २ दिसम्बर २०१९ को एक वीडियो के जरिये ये दावा किया था कि हैदराबाद बलात्कार के तीन आरोपी नाबालिग थे, इसलिए पुलिस द्वारा दिए गए इनके हिन्दू नाम काल्पनिक हैं. उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि सभी आरोपी एक धर्म विशेष के हैं. उन्होंने इस वीडियो में भारत सरकार से यह सवाल भी उठाया है कि आज तक आखिर कितनी हिन्दू बेटियों के साथ मुसलमानों ने बलात्कार किया है? उन्होंने सरकार और प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा किया है.उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. देखिये उनका यह वीडियो-
उधर एशिया नेट न्यूज़ हिंदी नामक वेबसाइट ने यह दावा किया है कि यति नरसिंहानन्द सरस्वती द्वारा किया गया दावा पूरी तरह से झूठा है. इस वेबसाइट का कहना है कि हैदराबाद कांड के चारों आरोपी बालिग हैं इसलिए उनका काल्पनिक नाम होना या लिखने का कोई औचित्य ही नहीं बनता.
इस वेबसाइट का यह भी दावा है कि हैदराबाद पुलिस ने सभी आरोपियों के नाम, उम्र और उनके परिवारों की जानकारी साझा की है. जिसमें केवल एक आरोपी आरिफ पाशा ही मुस्लिम था बाकि अन्य सभी आरोपी हिन्दू थे. वेबसाइट के अनुसार यह चारों आरोपी बचपन के साथी भी थे. उधर साइबराबाद पुलिस ने भी वीडियो और पोस्ट का खंडन किया है. एक यूजर को जवाब देते हुए उन्होंने इसे फेक न्यूज़ बताया है.
दरअसल ४ दिसम्बर २०१९ को “द यूथ” नामक वेबसाइट पर एक आर्टिकल प्रकाशित हुआ था जिसमें यह सवाल उठाया गया था कि
“All accused of Hyderabad Rape Were Muslims, police admit to change their names”-says Swami Narhari” Can anyone confirm this story? If it is true then Hyderabad police & their political masters are bigger criminals https://t.co/8fuRjO5sQq
गल्फ कन्नोईसुर की एडिटर-इन-चीफ मीना दास नारायण ने अपने ट्विटर हैंडल से इसकी सच्चाई जानने के लिए इस आर्टिकल को शेयर किया और यह वायरल हो गया.
अब महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि बकौल स्वामी यति नरसिंहाननद सरस्वती के, यदि यह सच है कि चारों आरोपी मुस्लिम थे तो निश्चित रूप से संबंधित अधिकारीयों पर कार्यवाही होनी चाहिए. किन्तु यदि तस्वीर का दूसरा पहलु देखा जाए और यह सामने आता है कि चारों आरोपी में से तीन आरोपी हिन्दू थे जबकि आरिफ पाशा नामक एक एक आरोपी मुस्लिम था. तब प्रश्न यह है कि ऐसे में स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती का बयान क्यों वायरल हो रहा है? क्या इस प्रकार के बयानों से साम्प्रदायिक सद्भावना बिगाड़ने और एक सम्प्रदाय विशेष के विरुद्ध नफरत के बीज बोने का घिनौना कृत्य जानबूझकर किया जा रहा है. अगर ऐसा है तो यह भारत की एकता, अखंडता और सद्भावना के विरुद्ध एक सोचा-समझा षड्यंत्र कहा जा सकता है. और ऐसे और इस तरह के तमाम देशद्रोही संदेशों को वायरल होने से तुरंत रोका जाना चाहिए साथ ही समाज में विषवमन करने वाले ऐसे लोगों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए.