“कपोल-कल्पित भावुकताओं और धारणाओं की मोटी, अभेद्य दीवार ने हिंदुओं तक नए प्रकाश की किरणों को पहुंचने से रोक रखा है। इसी कारण मैंने अपनी बैट्रियां चालू करने की गम्भीर आवश्यकता अनुभव की। मैं नहीं जानता कि इस दीवार में दरारें पैदा करके अंधेरे कमरे में प्रकाश पहुंचाने में मैं कितना सफल हुआ हूँ। मुझे सन्तोष है कि मैंने अपना कर्तव्य निभाया है। हिन्दू यदि अपना कर्तव्य नहीं निभाते तो वे वही परिणाम भुगतेंगे जिनके लिए वे आज यूरोप पर हंस रहे हैं, और यूरोप की ही भांति नष्ट भी हो जाएंगे”।
(डॉ. अम्बेडकर कृत “थॉट्स ऑन पाकिस्तान” के उपसंहार से)