नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने पर हंगामा कौन कर रहा है? वह लोग जो आतंकियों के नाम के साथ भी “जी” लगाकर सम्बोधित करते हैं, वह लोग जो जिन्ना को देशभक्त बताते हैं, वह लोग जो विदेशी आक्रमणकर्ताओं को समाज उद्धारक बताकर उनका महिमामंडन करते हैं, वह लोग जो आक्रमणकारी और अय्याश अकबर को महान बताते हैं, वह लोग जो अपने को बाबर का वंशज कहते हैं, वह लोग जो बाबर, हुमायूं, तुगलक जैसे आक्रमणकर्ताओं के नाम पर सड़कें और संस्थान बनवाते हैं, वह लोग जो अंग्रेजों के जाने के बाद भी अंग्रेजियत को नहीं छोड़ पाए, जो लोग आजतक शहीदे आजम भगत सिंह को “शहीद” का दर्जा नहीं दिला पाए, और तो और भगतसिंह को आतँकवादी बता दिया, जिन्हें “वन्देमातरम” बोलने पर एतराज़ है, जो लोग स्वामी श्रद्धानन्द, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जैसी महान विभूतियों की वीरगति पर मुहं में दही जमाकर बैठ गए, जिन लोगों ने सदैव अपनी ही सभ्यता, अपनी संस्कृति और अपने महापुरुषों का मज़ाक़ बनाया, जो ऋषि-मुनियों को भी अपशब्द कहने से नहीं चूकते, जिन्होंने भारत माता को डायन कहा, जिन्होंने कश्मीर की आज़ादी की वक़ालत की, जिन्होंने हमारी सेना और सैनिकों के शौर्य और पराक्रम पर उंगलियां उठाई।
वह लोग किस मुँह से नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने पर हायतौबा मचा रहे हैं, जिन लोगों ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के अस्तित्व को ही नकार दिया था जबकि स्वयं महात्मा गांधी अपने पूरे जीवनकाल “रघुपति राघव राजा राम…” का जप करते रहे। बताया तो यहां तक जाता है कि अपने अंतिम क्षणों में भी गांधी जी के मुंह से “हे राम” निकला था।
शर्म और ग़ैरत नाम की कोई चीज अगर है तो उपरोक्त सभी लोगों को यह आनी चाहिए।
अगर नाथूराम गोडसे देशद्रोही थे, तो स्वामी श्रद्धानन्द का हत्यारा अब्दुल रशीद भी देशद्रोही था, भारत पर आक्रमण करने वाले तमाम विदेशी आक्रांता चाहे वह बाबर हो, सिकन्दर हो, या फिर अंग्रेज या उनके वंशज यह सब देशद्रोही थे/हैं। जिन्नाभक्त और कश्मीर की आजादी के समर्थक सब के सब देशद्रोही हैं।
अकेले नाथूराम गोडसे को ही देशद्रोही नहीं बताया जा सकता, बल्कि वह प्रत्येक व्यक्ति देशद्रोही ही है जो इस देश के संविधान, इस देश के आदर्श पुरुष मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को सम्मान नहीं देता, जो राष्ट्रीय आंदोलन के प्रेरक गीत औऱ राष्ट्रीय गीत “वन्देमातरम” को कहने से गुरेज करता है, जो इस देश के करोड़ों हिंदुओं को 15 मिनट में काटने की बात करते हैं, वह भी देशद्रोही हैं, जो माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए उसका अपमान करते हैं। वह भी देशद्रोही हैं, जो लोग मुस्लिम और तमाम विदेशी आक्रांताओं को अपना आदर्श मानते हैं, वह सब देशद्रोही हैं।
स्वतन्त्रता संग्राम में महात्मा गांधी की भूमिका को कोई नहीं नकार सकता औऱ न ही उनकी हत्या को उचित ठहराया जा सकता है, इस बात से भी किसी को इन्कार नहीं है कि नाथूराम गोडसे ने जो किया वह संवैधानिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से अनुचित था। किंतु नाथूराम गोडसे को देशद्रोही कहने से पहले आप अपने गरेबान में झांक जरूर लीजिये।
*-पंडित मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
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