भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी द्वारा प्रदेश के विद्युत विभाग में बिजली चोरी रोकने के नाम पर फलफूल रहे भ्रष्टाचार और विभाग द्वारा स्मार्टमीटर लगाने के नाम पर उपभोक्ताओं के उत्पीड़न को लेकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करना वास्तव में एक बेहद चुनौतीपूर्ण किन्तु साहसिक कदम है।
आज देश को अंधभक्त बने छद्म राष्ट्रवादियों की नहीं वरन डॉ. लक्ष्मीकान्त वाजपेयी जैसे निर्भीक और बेबाक नेतृत्व की परम् आवश्यकता है। इस देश की जनता को ऐसे ही जनप्रतिनिधियों की महती आवश्यकता है जो जनहित के लिए अपने व्यक्तिगत स्वार्थों और क्षुद्र राजनीति से ऊपर उठकर तन-मन-धन से जनता की सेवा में लगे हैं।
इस देश में अधिकांश नेता गांधी जी के तीन बंदरों की तरह हो गए हैं जिन्हें न तो भ्रष्टाचार दिखाई देता है, न महंगाई और अराजकता से पिसती जनता की मर्मान्तक चीखें सुनाई देती हैं। वे तो बस मुहं पर हाथ रखकर “नमो कुर्सी-नमो कुर्सी” का जप करने में लगे हैं।
इस देश में अधिकांश नेता गांधी जी के तीन बंदरों की तरह हो गए हैं जिन्हें न तो भ्रष्टाचार दिखाई देता है, न महंगाई और अराजकता से पिसती जनता की मर्मान्तक चीखें सुनाई देती हैं। वे तो बस मुहं पर हाथ रखकर “नमो कुर्सी-नमो कुर्सी” का जप करने में लगे हैं।
उत्तर प्रदेश में विपक्ष तो मानो शून्य हो गया है, चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ है। दरअसल विपक्ष में खुद कई छेद हैं, वह तो ख़ुद भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबे हैं। उनको अपनी ही फाइलें खुलने का भय सताता रहता है। नंगा नहायेगा क्या और निचोड़ेगा क्या?
विद्युत विभाग ही नहीं वरन लगभग सभी विभागों में आज भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है, यहां तक कि गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं यथा प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वपूर्ण और जनहित योजनाओं को भी भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की दीमकों ने चाटना प्रारम्भ कर दिया है, सरकारी योजनाओं में नौकरशाही और लालफीताशाही सिर चढ़कर बोल रही है। लेकिन सत्ता के मोह में फंसे जनप्रतिनिधि अंधे धृष्टराष्ट्र की भांति आंखों पर छद्म राष्ट्रवाद की पट्टी बांधे द्रौपदी रूपी जनता के चीरहरण पर ख़ामोश हैं, और दुर्योधन रूपी भ्रष्टाचार और दुःशासन रूपी अराजकता, मासूम और निर्दोष जनता की बेबसी पर भयानक अट्टहास कर रहे हैं।
ऐसे में डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी जैसे जनप्रतिनिधि श्रीकृष्ण की भांति द्रौपदी की लाज बचाने का सत्कर्म कर रहे हैं।
हम उनके साहस को प्रणाम करते हुए उनको इस साहसिक कदम के लिए साधुवाद देते हैं।
हम उनके साहस को प्रणाम करते हुए उनको इस साहसिक कदम के लिए साधुवाद देते हैं।
*-पण्डित मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
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