शबाना आजमी जी वह प्रत्येक व्यक्ति जो भारत की संस्कृति, सभ्यता और भाषा को अपनाता है. भारतीय संविधान, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत और राष्ट्रीय प्रतीकों और भारतीय सेना का ह्रदय से सम्मान करता है. जिसे लोकतंत्र में पूर्ण आस्था है, वही राष्ट्रवादी है इसके विपरीत जो भारत की संस्कृति, सभ्यता और भाषा का मजाक बनाते हैं, उस पर उँगलियाँ उठाते हैं, जो संविधान को केवल अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें मोब्लिंचिंग तो दिखाई देती है लेकिन मोब्लिंचिंग के विरोध करने के नाम पर पुलिस-प्रशासन पर पत्थर बरसाती भीड़ उन्हें नहीं दिखाई देती, जो पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं, जो कश्मीर के पत्थरबाजों को भटका हुआ नौजवान बताकर उनकी हिमायत करते हैं, जो बुरहानवानी जैसे क्रूर आतंकवादियों की मौत पर विधवा विलाप करते हैं, जो भारत माता को डायन कहते हैं, जो भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह के नारे लगाते हैं, जो भारत की पाकिस्तान पर जीत को नहीं पचा पाते, जो टुकड़े-टुकड़े गैंग के सरगना हैं, जो इस देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता को नुकसान पहुचाना चाहते हैं, जो जनादेश का अपमान करते हैं, जो लोकतान्त्रिक व्यवस्था से चुनी गई सरकारों का बेवजह विरोध करते हैं, जो लोकतंत्र और संविधान में विश्वास नहीं करते, जो हमारे प्रधानमंत्री महोदय का मजाक बनाते हैं, जो कश्मीर को पाकिस्तान को सौंपने की बात करते हैं, जो कश्मीर की आजादी की हिमायत करते हैं, जिन्हें हिंदुत्व में आतंकवाद दिखाई देता है लेकिन दुसरी ओर कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, जो लोग इस देश को जातिवाद, धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर तोडना चाहते हैं, वह और उन जैसे सभी लोग राष्ट्रविरोधी ही कहे जाने चाहिए.
-शबाना आजमी जी दो शब्द उस महिला एक लिए भी बोलिए जिसको कथित रूप से केवल इसलिए प्रताड़ित किया गया क्योंकि उसने एक पार्टी विशेष की सदस्यता ली है. आपको उस पुरुष की हमदर्दी के लिए भी दो शब्द कहने चाहियें जिसे केवल इसलिए मारा-पीटा गया क्योंकि उसने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक महान ग्रन्थ श्री रामायण का पाठ किया था. क्या यही आपकी धर्मनिर्पेक्षता है ?
– शबाना आजमी जी आप तब क्यों खामोश रहीं जब अलीगढ़ में कुछ दरिंदों ने एक मासूम को तडपा-तडपा कर मार डाला, उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसके बाप ने उन दरिंदों से अपने उधार दिए गए पैसे वापस मांग लिए थे. क्या यही आपकी धर्मनिरपेक्षता है?
आप भाजपा या किसी भी पार्टी के विरोधी हो सकते हैं, आप सरकार के विरोधी हो सकते हैं, आपको पूरा हक है कि आप अपनी बात को देश की जनता और सरकार के समक्ष रखें, आप देश में घटने वाली किसी भी घटना के पक्ष अथवा विपक्ष में अपनी बात रख सकते हैं, आपको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है किन्तु दोगली बातें करने, एकपक्षीय कार्यवाही करने की जिद करने या फिर अपनी बातों से इस देश की जनता और उसकी भावनाओं को चोट पहुँचाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है. आप मर्यादा में रहकर, निष्पक्ष ढंग से अपनी बात रखिये, आपका स्वागत है.