एक समय था जब चांदपुर में कहीं मुर्गे की बिरयानी बंट रही थी तो कहीं बकरे का कोरमा, कहीं चाय-पकौड़े बन रहे थे तो कहीं मछली के पकौड़े तले जा रहे थे। यह समय था चुनाव का, विधानसभा और नगरपालिका चुनावों में जनता की पांचों उंगलियां घी में और सर कढ़ाई में था।
एक स्वयंघोषित समाजसेवी “दोस्त क्लब” ने तो सैंकड़ो-हजारों लोगों को।मुफ्त में राशन-पानी उपलब्ध कराने का दावा भी किया था। शहर में कई स्थानों पर इस संगठन द्वारा “दावतों” का आयोजन किया गया था। लेकिन आज कोरोना संकट के कठिन समय में इस संगठन के किसी भी कार्यकर्ता ने मुर्गा बिरयानी तो छोड़िए सुखी रोटियां बांटना भी गवारा नहीं किया।
चांदपुर के लोगों को मुफ्त की बिरयानी और लेगपीस बांटने वाले आज इस संकट के समय में एयरकंडीशनर कमरों में बैठकर बकरे की चाप चबा रहे हैं और बेचारी लाचार जनता भूख, बेरोजगारी, और ग़रीबी की चक्की में पिसी जा रही है।
कोरोना वायरस से बचने को मोदी सरकार द्वारा लगाए गए “कर्फ्यू” के चलते कई घरों में राशन-पानी ख़त्म हो चुका है, कुछ घरों में तो कई दिन से चूल्हा भी नहीं जला होगा। लेकिन राजनीतिक पार्टियों के टिकट खरीदने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने वालों की जेब से एक रुपया भी नहीं निकल रहा है।
चांदपुर में किसी भी जनप्रतिनिधि, नेता, समाजसेवी ने देश पर आई इस विपदा से जूझ रहे ग़रीब आदमी की सहायता के लिये अपने हाथ नहीं बढ़ाये हैं।
क्या पूर्व विधायक मौहम्मद इक़बाल, वर्तमान विधायक श्रीमती कमलेश सैनी, पूर्व चेयरमैन शेरबाज पठान, वर्तमान चेयरपर्सन श्रीमती फ़हमीदा बेग़म, भूतपूर्व गन्ना राज्यमंत्री स्वामी ओमवेश, समाजसेवी मौहम्मद अरशद, गोविंद मित्तल, अरविंद मित्तल, राधेश्याम कर्णवाल, मुनीर ख़ालिद, अफजल कुरैशी, आमिर सिद्दीकी, अनिल चौधरी(चेयरमैन भगवंत ग्रुप), समाजसेवी संगठन फ्रेंड्स क्लब, प्रेरणा परिवार आदि को आगे आकर ग़रीब, बेरोजगार और भुखमरी की शिकार जनता की सहायता करने हेतु अपने हाथ आगे बढ़ाएंगे। हमारा मानना है कि इसपर राजनीति न करके इसे पूरे देश पर आई विपदा में सहयोग के रूप में देखना चाहिए। याद रखिये जनता सबकुछ देख रही है, 2022 में उसका जवाब जरूर देगी।