चीनू हंसता था, बोलता था, मुस्कुराता था, इसलिए आज, कल और हमेशा लोगों के दिलों में रहेगा. उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा, सदैव हमारी और आपकी नजरों के सामने यथावत घूमता रहेगा, और यही मृत्यु का संदेश है कि “हंसते हुए, मुस्कुराते हुए, खिलखिलाते हुए व्यक्तित्व को मौत भी नहीं मार सकती क्योंकि मरता केवल और केवल व्यक्ति है, परन्तु उसकी व्यक्तित्व सदैव जीवित रहता है, अनंतकाल जीवित रहता है, अमर रहता है” और यही चीनू हमें सिखाकर गया है कि “व्यक्तिव को सुधारो, व्यक्तित्व से प्रेम करो. क्योंकि व्यक्तित्व अमर है, परन्तु व्यक्ति नश्वर है.”
शायद ही आप मेरी बात पर विश्वास करें लेकिन यह सत्य है कि कभी-कभी आप शमशान में भी कुछ सीख पाते हैं. मौत आपको संदेश देती है, भले ही आप उन संदेशों को गम्भीरता से न समझ पायें, उनसे न सीख पायें लेकिन वह आपको सिखाने का हरसम्भव प्रयास करती है.
आज एक जुझारू पत्रकार, एक कर्मठ युवक, एक विद्वान् अध्यापक और हंसमुख इन्सान शुभम शर्मा उर्फ़ चीनू हमें अकेला छोड़कर हमारे बीच से हमेशा-हमेशा के लिए चला गया. एक हंसता-खेलता इन्सान कब काल के गाल में समा गया, न कोई समझ पाया और न ही कोई जान पाया.
मौत तो सबको आनी है लेकिन असामयिक मौत, अकाल मृत्यु आपको अंदर तक झिंझोड़ देती है. हम सबको एक न एक दिन मरना है लेकिन हममें से हर इन्सान मौत से डरता है, कोई भी इन्सान मरना नहीं चाहता. मृत्यु एक कड़वा किन्तु शाश्वत सत्य है, परन्तु प्रत्येक व्यक्ति इसको जानबूझकर नकारने का प्रयास करता है.
इसलिए मृत्यु यह संदेश देती है कि “जो आज है, वह कल नहीं होगा क्योंकि जो कल था, वह आज नहीं है.” हम मौत से भाग नहीं सकते, वह सदा हमारे पीछे है. काल से बचना असम्भव है.
दूसरा संदेश यह है कि “कोई तुम्हारा नहीं है केवल तुम्हारे कर्म चाहे वह सत्कर्म हों अथवा दुष्कर्म, वही तुम्हारे हैं. तुम्हारी मृत्यु के पश्चात केवल तुम्हारा व्यवहार, तुम्हारे कर्म, तुम्हारे विचार और तुम्हारी स्मृतियाँ, बस यही शेष रह जायेगा. दुनिया ऐसे ही चलती रहेगी, द शो मस्ट गो ऑन. इसलिए आसक्ति से दूर रहो.”