अखिलेश यादव |
जहाँ एक ओर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव पार्टी की एकजुटता और मजबूती के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं वहीँ दूसरी ओर चांदपुर के कुछ समाजवादी नेता गुटबाजी कर पार्टी को कमजोर करने में लगे हैं.
सपा सूत्रों की मानें तो चांदपुर में समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनावों के दौरान ही टिकट बंटवारे को लेकर दो खेमों में बंट गई थी जब समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ चुके एक जमीनी नेता के स्थान पर पार्टी हाईकमान ने एक “पैराशूट नेताजी” को टिकट दे दिया था. उसके बाद जब नगरनिकाय चुनाव आये तब उस समय पार्टी में कई वर्षों तक निरंतर अपनी सेवाएं देने वाले पूर्व नगराध्यक्ष को टिकट न देकर पार्टी फिर से विवादों में आ गई. उधर समाजवादी के एक अन्य सिपाही को भी पार्टी ने नजरअंदाज कर दिया और फिर से टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में अंदरूनी कलह शुरू हो गई. इसका असर तब देखने को मिला जब पार्टी के पूर्व नगराध्यक्ष ने पार्टी द्वारा चुने गये प्रत्याशी का न केवल विरोध किया बल्कि अपनी ही पार्टी प्रत्याशी के मुख्य प्रतिद्वंदी के साथ खुलकर मैदान में आ गए. जिसपर पार्टी ने उनपर तथाकथित रूप से एकतरफा कार्यवाही करते हुए उन्हें पार्टी के नगराध्यक्ष पद से हटा दिया. इसके बाद पार्टी में अंदरूनी घमासान शुरू हो गया और तमाम कोशिशों के बावजूद भी पार्टी में बिखराव शुरू हो गया. यहाँ तक की भूतपूर्व गन्ना राज्यमंत्री स्वामी ओमवेश का पार्टी से जुड़ना भी कोई खास कारगर सिद्ध होता नहीं दिखाई दे रहा है.
एक समाजवादी नेता ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि चांदपुर के एक “पैराशूट नेताजी” को ही आजकल ज्यादा भाव दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिलास्तर के नेता इन “पैराशूट नेताजी” की सिफारिश पर ही पार्टी की नगर-कमेटी में पद बाँट रहे हैं. उनका मानना है कि राजनीति की कम समझ रखने वाले ये “पैराशूट नेताजी” पार्टी में नए-नए रंगरूटों की भर्ती करा रहे हैं जबकि उन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और नेताओं की कोई सुनवाई नहीं की जा रही जिन्होंने नगर में समाजवादी पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचा है.
समाजवादी पार्टी में काफी लम्बे समय से सक्रिय एक नेताजी ने बताया कि चांदपुर में पार्टी लगभग बिखर सी चुकी है जिसे समेटने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में चाँदपुर में पार्टी के अंदर गुटबाजी जोरों पर है, और स्थिति ये है कि नगर में समाजवादी के चार गुट बन गये हैं.
हालाँकि पार्टी के युवानेता और चांदपुर विधानसभा अध्यक्ष प्रभात यादव इस आरोप का पूरी तरह से खंडन करते हैं, उनका मानना है कि “चाँदपुर में पार्टी एकजुट है और मजबूती के साथ अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ रही है. उनका मानना है कि पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को यथोचित सम्मान दिया जा रहा है.”
अगर इन नेताओं की बातों पर गंभीरता से विचार किया जाये तो यह स्पष्ट हो चूका है कि वर्तमान में चांदपुर में समाजवादी पार्टी की नौका में कई छेद हो रहे हैं और चांदपुर में शायद उसकी नौका डूबने लगी है और अफ़सोस की बात ये है कि पार्टी के नए खेवनहार ही पार्टी की नौका डुबोने में लगे हैं. अब क्या सही है और क्या गलत ये तो पार्टी के कर्णधार ही बेहतर जानते होंगे लेकिन एक बात तय है कि “नया नौ दिन और पुराना सौ दिन होता है.”