चांदपुर क्षेत्र में एक समय सर्वमान्य मुस्लिम नेता थे स्व. अमीरुद्दीन बादशाह उर्फ़ अब्बा। एक लंबे समय तक उन्होंने क्षेत्र के मुस्लिम समाज का बख़ूबी प्रतिनिधित्व किया। उनके बाद कई वर्षों तक मुस्लिम समाज का कोई नेता उभरकर सामने नहीं आ पाया। इस बीच में कुछ हिन्दू नेताओं को ही मुस्लिम समाज ने अपना प्रतिनिधि माने रखा। जिसमें भूतपूर्व विधायक स्व. तेजपाल और स्वामी ओमवेश का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। लेकिन इन सबके बाद अबसे करीब 15-20 वर्षों पहले मुस्लिम समुदाय से एक नया नाम उभरकर सामने आया, और वह नाम था मौहम्मद इकबाल ठेकेदार का। मौहम्मद इकबाल ठेकेदार ने पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें 36,000 वोट प्राप्त हुए थे। उसके बाद वह दो बार बसपा विधायक रहे, और 2017 के विधानसभा चुनाव में 57,000 वोट लेकर रनरअप बने।
लेकिन इस बीच में एक मुस्लिम नौजवान बहुत तेज़ी के साथ उभरकर सामने आया जिसका नाम था, शेरबाज पठान। इन दोनों ही लोगों ने लगातार 10 वर्षों तक चांदपुर के मुस्लिम समुदाय को काफी हद तक अपने नियंत्रण में रखा।
लेकिन अबसे करीब दो वर्ष पहले एक और नया मुस्लिम युवा नाम सामने आया मौहम्मद अरशद अंसारी, जिनके परिवार की एक महिला वर्तमान में चांदपुर की चेयरपर्सन हैं।
अब सवाल यह है कि आज की तारीख़ में चांदपुर क्षेत्र में मुसलमानों का नेता कौन है?
जबसे इकबाल साहब विधायक नहीं रहे, शेरबाज साहब चेयरमैन नहीं रहे, तभी से इस शहर में एक होड़ सी मची है और वह होड़ है, अपने आपको क्षेत्र के मुस्लिमों का रहनुमा साबित करने की।
इसमें कई नाम हैं, लेकिन आज भी केवल तीन नाम ऐसे हैं जो हर खासो-आम मुसलमानों की ज़ुबान पर रटे हुए हैं। यह नाम हैं मौहम्मद इक़बाल ठेकेदार, शेरबाज पठान और मौहम्मद अरशद अंसारी।
शहर एक क़ाबिल डॉ. और एक सम्मानित राजनीतिक परिवार से सम्बन्ध रखने वाले मेरे करीबी मुस्लिम दोस्त से जब मैंने यह सवाल पूछा कि इस वक्त चांदपुर में मुसलमानों का नेता कौन है? तब उन्होंने एक बहुत अच्छी बात कही, उन्होंने कहा कि “”शास्त्री जी, आप चांदपुर की बात कर रहे हैं, मुसलमान तो आज तक इस पूरे देश में भी कोई एक नेता नहीं ढूंढ सके। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी, मुसलमान हर उस शख़्स को अपना नेता मान लेता है, जो उसके जायज़ हक़-हकूक बात करता है। मुसलमान धर्म-जाति देखकर कभी नेता नहीं चुनता, वह केवल अपने जानोमाल, अपने हक़-हकूक की सुरक्षा चाहता है, औऱ जो शख़्स ईमानदारी के साथ इसमें उसके साथ खड़ा है, वह उसको ही अपना नेता मान लेता है।””
अब सवाल यह है कि अगर यह थ्योरी सही है, तो चांदपुर क्षेत्र में मुसलमानों के हक़-हकूक की ईमानदारी से बात करने वाला कौन है?
मुझे आप लोगों के जवाबों का इंतज़ार रहेगा।
-मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”