उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अभी बहुत दूर हैं, लेकिन चांदपुर क्षेत्र के कई दिग्गज नेताओं ने साईकिल पर चढ़ने की तैयारियां पूरे ज़ोरशोर से कर ली हैं। इस समय चांदपुर के 5 नेताओं का नाम उस सूची में लिया जा रहा है जो 2022 के विधानसभा चुनाव में साईकिल पर सवारी करने की जुगत लगा रहे हैं। इन 5 नेताओं में से 3 नेता अल्पसंख्यक समुदाय के हैं और 2 बहुसंख्यक समुदाय से आते हैं।
इनमें से एक नेता ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साईकिल पर बैठकर ही की थी लेकिन बाद में वह साईकिल से उतरकर जयहिंद का घोष करने में जुट गए थे।
एक दूसरे नेता जो कि पगड़ीधारी हैं और वर्तमान में साईकिल पर बैठे हैं, वह अपनी दावेदारी को मजबूती देने का पूरा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनकी दावेदारी पर जनता भरोसा नहीं जता रही है।
तीसरे नेता अभीतक तो पंजा मजबूती से थामे हुए हैं लेकिन यदि उन्हें साईकिल वाले “भैयाजी” का ज़रा सा भी ईशारा मिल गया तो वह पंजा झटककर तुरन्त साईकिल पर सवार हो सकते हैं। यूं भी उत्तर प्रदेश में उनका राजनीतिक करियर साईकिल पर ही उज्ज्वल भविष्य बन सकता है, ऐसा उनके शुभचिंतकों का मानना है।
चौथे नेताजी के विषय में अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं लेकिन उनको भी एक मज़बूत प्लेटफॉर्म की तलाश है, परन्तु हमारा मानना है कि वह जल्दबाज़ी में कोई निर्णय नहीं करेंगे, वैसे भी उन्होंने पिछले 25-30 सालों में दलित-मुस्लिम एकता का ही परचम लहराया है और अभी भी मुस्लिम समाज में उनका ख़ासा रुतबा है और मज़बूत समर्थन है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में ऐसी खबरें हैं कि फ़िलहाल “हाथी” पर उनकी सवारी थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि दो बेहद कद्दावर नेता उनसे 36 का आंकड़ा बनाये हुए हैं। जो किसी भी कीमत पर उनकी एंट्री बहनजी के दरबार में नहीं होने देना चाहते हैं। हालांकि इस सबके बावजूद हमें पूरा भरोसा है कि अंतिम समय में वह बाजी पलट देंगे।
पांचवें नेता ने अभी तक अपनी पहचान को पूरी तरह से मीडिया से छुपाए रखा हुआ है। क्योंकि यह अभी हिंदूवादी पार्टी से जुड़े हुए हैं लेकिन यदि इन्हें मौका मिलता है तो यह भी साईकिल में अपना भाग्य आजमा सकते हैं, वैसे भी ये भगवान श्रीकृष्ण के वंशजों में से हैं इसलिये इनकी दावेदारी को कमतर नहीं आंका जा सकता है।
बहरहाल,
इब्तदाये इश्क़ है रोता है क्या।
आगे-आगे देखिए होता है क्या।।