मैं छद्म धर्मनिरपेक्षता की आड़ में अपना एजेंडा चलाने वाले “मज़हबी ठेकेदारों” से पूछता हूँ कि रमज़ान जैसे पवित्र माह में हमारे सैन्य अधिकारियों और CRPF के जवानों को शहीद करने वाले आतंकी किस मज़हब से हैं? पूरे देश में कोरोना वायरस को बढ़ाने वाले तब्लीग़ी जमात किस मजहब से ताल्लुक रखती है? तथाकथित हवाला कारोबारी साद किस मजहबी संगठन से जुड़ा है? 100 करोड़ हिंदुओं को 15 मिनट में काटने की धमकी देने वाला अकबरुद्दीन ओवैसी किस मज़हब से है? सोशल मीडिया पर माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोली मारने की बात कहने वाला गाजीपुर के दिलदारनगर क्षेत्र का निवासी एवं बिहार पुलिस मे सेवारत ASI तनवीर खान किस मज़हब का है? अरब देशों के नाम पर खुलेआम धमकी देने वाला जफरुल इस्लाम खान कौन से मज़हब से है? हमारी सेना के जवानों, पुलिसकर्मियों और डॉक्टर्स पर पत्थर फेंकने वाले, उनके साथ गाली-गलौज करने वाले कौन हैं? देश के टुकड़े-टुकड़े करने की बात करने वाले शरजील इमाम, उमर खालिद जैसे कौन हैं? वो 15 करोड़ कौन लोग हैं जो 100 करोड़ पर भारी पड़ने वाले हैं? भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले जिन्नाभक्त कौन हैं?जैश-ए-मोहम्म्द, लश्कर-ए-तैयबा
– हिजबुल मुजाहिदीन
– इंडियन मुजाहिदीन
– अल कायदा
– तहरीक-ए-तालिबान
– तहरीक-ए-फुरकान
– अल बद्र
– जमात-उल-मुजाहिदीन
– हरकत-उल-मुजाहिदीन
– हरकत-उल-अंसार
– हरकत उल जिहाद ए इस्लामी
– अल उम्र मुजाहिदीन
– जम्मू कश्मीर इस्लामिक फ्रंट
– स्टूडेंटस इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी)
– दीनदार अंजुमन
– दुख्तरान-ए-मिल्लत
– जुनदुल्लाह
– लश्कर-ए-झांगवी जैश-ए-मोहम्म्द
– लश्कर-ए-तैयबा
– हिजबुल मुजाहिदीन
– इंडियन मुजाहिदीन
– अल कायदा
– तहरीक-ए-तालिबान
– तहरीक-ए-फुरकान
– अल बद्र
– जमात-उल-मुजाहिदीन
– हरकत-उल-मुजाहिदीन
– हरकत-उल-अंसार
– हरकत उल जिहाद ए इस्लामी
– अल उम्र मुजाहिदीन
– जम्मू कश्मीर इस्लामिक फ्रंट
– स्टूडेंटस इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी)
– दीनदार अंजुमन
– दुख्तरान-ए-मिल्लत
– जुनदुल्लाह
– लश्कर-ए-झांगवी
जैसे आतंकी संगठन और इनके आका किस मजहब से ताल्लुक रखते हैं? आखिर कौन हैं वह लोग जो बाबर, तैमूर लँगड़ा, औरंगजेब, चंगेज खान, अलाउद्दीन खिलजी जैसे विदेशी लुटेरों और आक्रान्ताओं को अपना पूर्वज बताते हैं? जबकि इन्हीं लोगों ने भारत की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं को नष्ट-भ्रष्ट किया था।
अगर वास्तव में मजहब बैर नहीं सिखाता तो मुस्लिम लीग के गुंडों ने प्रत्यक्ष कार्यवाही के नाम पर नोआखली जिले में नरसंहार क्यों किया था? इससे भयानक और क्रूर मज़ाक क्या होगा कि मज़हब के नाम पर इस देश के दो टुकड़े करने की सबसे ज़्यादा पैरवी करने वाला इक़बाल लिखता है-
“मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना”.
हमें कलाम, मौलाना आज़ाद, वीर अब्दुल हमीद याद हैं और हमेशा याद रहेंगे, लेकिन कसाब, मेमन और अफ़ज़ल गुरु को भी हम कभी माफ नहीं कर सकते, और न भूल सकते हैं।
-मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”