कुछ जिन्नाभक्तों और “अफवाह गैंग” ने सोशल मीडिया पर अजीम प्रेमजी को 21वीं सदी का “दानवीर कर्ण” बना दिया। ठीक उसी तरह से जिस प्रकार से इसी गैंग ने CAA और NRC को लेकर देशभर में झूठ का जाल बुना था जिसमें हजारों-लाखों लोग फंस गए और पूरे देश में हिंसा और अराजकता फैलाई गई थी। जबकि सच यह है कि कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग में अजीम प्रेम जी ने यह लेख लिखे जाने तक हमारे संज्ञान के अनुसार एक फूटी कौड़ी दान नहीं की थी।
दरअसल कोरोना वायरस की चपेट में पूरी दुनिया है। भारत में भी यह बहुत तेजी से फैल रहा है। मदद के लिए कई बिजनसमैन सामने आ चुके हैं। अभी हाल ही में देश के सबसे पुराने औद्योगिक घराने टाटा साहब ने 1500 करोड़ रुपये दान किये हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक खबर बहुत तेजी से वायरल हो रही है जिसमें कहा जा रहा है कि विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 50 हजार करोड़ का दान किया है।
जबकि सच्चाई यह है कि अजीम प्रेमजी ने 50 हजार करोड़ का जो दान किया है वह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में नहीं है। बल्कि एक साल पहले मार्च 2019 में उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के लिए 52,750 करोड़ रुपये दान किया था। उस समय उन्होंने विप्रो में अपनी हिस्सेदारी का 34 पर्सेंट दान करने का फैसला किया था। मार्च 2019 को यह खबर मीडिया द्वारा पब्लिश की गई थी। 15 मार्च 2019 को भारत के प्रतिष्ठित समाचार पत्र के पोर्टल नवभारत डॉट कॉम ने भी यह ख़बर प्रकाशित की थी। उस रिपोर्ट के मुताबिक, बेन ऐंड कंपनी द्वारा जारी इंडियन फिलेनथ्रॉपी रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 से लेकर उस समय तक प्रेमजी को छोड़कर 10 करोड़ रुपये और उससे अधिक दान करने वालों की संख्या में चार फीसदी की गिरावट आई थी, जबकि इस दौरान अल्ट्रा-रिच (जिनकी कुल संपत्ति 35 करोड़ रुपये से अधिक है) लोगों की संख्या में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।