श्री रामायण में एक चरित्र हैं महाराज रावण. त्रिलोक विजयी महाराज रावण महाज्ञानी, महापंडित, कुशल राजनीतिज्ञ और एक महान योद्धा थे। उनके सवा लाख नाती-पोते थे, सोने की लंका थी जिसके चारों ओर समुद्र जैसी खाई थी, उनकी नाभि में अमृत कुंड था, लेकिन त्रिलोक विजयी रावण ने अहंकार के नशे में चूर होकर केवल एक स्त्री (माता सीता) का अपमान किया था।
ठीक इसी प्रकार महाभारत में महाराज धृष्टराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन ने सत्ता के अहंकार में एक स्त्री (रानी द्रौपदी) का भरी सभा में चीरहरण कर उन्हें अपमानित किया था। स्त्री का अपमान करने वाले अहंकारी महाराज रावण और युवराज दुर्योधन का अंत क्या हुआ यह सर्वविदित है।
समाजवादी पार्टी के सांसद जनाब आजम खान साहब का हम दिल से सम्मान करते हैं। आज की राजनीति में आजम साहब जैसे ओजस्वी वक्ता और कुशल राजनीतिज्ञ बहुत कम हैं। लेकिन जीत के अहंकार में डूबकर जिस प्रकार की आपत्तिजनक टिप्पणी उन्होंने भाजपा नेत्री और अभिनेत्री जयप्रदा के लिए की थीं, सार्वजनिक सभा में जिस प्रकार से उन्होंने जयप्रदा जी का शाब्दिक चीरहरण किया था शायद आज उस अपमान का ही यह दण्ड आजम खान साहब को भुगतना पड़ रहा है।
*नाचने-गाने वाली पर टिप्पणी करते हुए शायद आजम खान साहब यह भूल गए कि महाभारत के सबसे महान योद्धा पितामह भीष्म के अंत का कारण एक शिखण्डी ही बना था।*
काश, आजम साहब ने श्रीरामायण औऱ महाभारत पढ़ ली होती।