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एक बार स्वामी विवेकानंद से एक सभा में उनसे उनकी जाति पूछी गई. तब स्वामी विवेकानन्द ने जवाब दिया था. “मैं उस महापुरुष का वंशधर हूँ, जिनके चरण कमलों पर प्रत्येक ब्राह्मण यमाय धर्मराजाय चित्रगुप्ताय वाई नम का उच्चारण करते हुए पुष्पांजली प्रदान करता है”. चित्रगुप्त के बारे में सभी जानते होंगे. चित्रगुप्त यमराज के यमलोक में न्यायालय के लेखक हैं. चित्रगुप्त के पिता मित्त नामक कायस्थ थे. इनकी बहन का नाम चित्रा था. पिता के देहावसान के उपरांत प्रभास क्षेत्र में जाकर सूर्य की तपस्या की जिसके फल से इन्हें ज्ञान हुआ. वर्तमान समय में कायस्थ जाति के लोग चित्रगुप्त के ही वंशज कहे जाते हैं.
कायस्थ समाज के लोग ब्राह्मण वर्ग में श्रेष्ठ होते हैं. गरुण पुराण में यमलोक के निकट ही चित्रलोक की स्थिति बताई गई है. कायस्थ समाज के लोग भाईदोयज के दिन श्री चित्रगुप्त जयंती मनाते हैं. इस दिन वे कलम-दवात पूजा (कलम, स्याही और तलवार पूजा) करते हैं जिसमें पेन, कागज और पुस्तकों की पूजा होती है. यह वह दिन है, जब भगवान श्री चित्रगुप्त का उद्भव ब्रहमाजी के द्वारा हुआ था.
चित्रगुप्त वंशावली का वंश- चित्रगुप्त महाराज की दो पत्नियाँ हुईं पहली इरावती (शोभावती) दूसरी पत्नी थीं नंदनी (सुदाक्षिना).
माता सुर्यदक्षिणा/नन्दिनी के पुत्रों का विवरण-
१. भानु(श्रीवास्तव) श्री भानु माता नंदनी के ज्येष्ठ पुत्र थे. उनका राशि नाम धर्मध्वज था. श्री भानु मथुरा में जाकर बसे. इसलिए भानु परिवार वाले माथुर कायस्थ कहलाने के साथ-साथ सूर्यवंशी भी कहलाये.
२. विभानु(सुर्यध्वज)- चित्रगुप्त की प्रथम पत्नी दक्षिणा नन्दिनी के द्वितीय पुत्र विभानु थे. इनकी राशिनाम श्यामसुन्दर था. विभानु को चित्राक्ष नाम से भी जाना जाता है. महाराज चित्रगुप्त ने इन्हें भट्ट देश में मालवा क्षेत्र में भट नदी के पास भेजा था. इन्होंने वहां चित्तौर और चित्रकूट बसाये. ये वहीं बस गए और इनका वंश भटनागर कहलाये. इनका वास स्थान भारत के वर्तमान पंजाब प्रदेश में भट्ट प्रदेश था. इनकी पत्नी का नाम मालिनी था. उपासना देवी-जयंती
३. विश्वभानु (बाल्मीकि)- श्री विश्वभानु माता नन्दिनी के तृतीय पुत्र थे. उनका राशिनाम दीनदयाल था. श्री विश्वभानु का परिवार गंगा-जमुना दोआब, जिसको प्राचीन काल में साकब द्वीप कहते थे, में जाकर बसे. इसलिए विश्वभानु परिवार वाले सक्सेना कायस्थ कहलाने के साथ-साथ सूर्यवंशी भी कहलाये.
४. वीर्यभानु (अष्ठाना)- श्री वीर्यभानु माता नन्दिनी के सबसे छोटे पुत्र थे. उनका राशिनाम माधवराव था. श्री वीर्यभानु का परिवार बांस देश (कश्मीर) में जाकर बसे. इसलिए वीर्यभानु परिवार वाले श्रीवास्तव कायस्थ कहलाने के साथ-साथ सूर्यवंशी भी कहलाये.
माता एरावती/शोभावती के पुत्रों का विवरण-
१- चारू(माथुर)-श्री चारू माता ऐरावती के ज्येष्ठ पुत्र थे. उनका राशिनाम पुरान्धर था. श्री चारू का परिवार सूर्यदेश (बिहार) देश, में जाकर बसे और उनके राष्ट्रध्वज का चिन्ह सूर्य होने के कारण सूर्यध्वज कहलाये.
२- सुचारू (गौड़)-श्री सुचारू दुसरे पुत्र थे. उनका राशिनाम सारंगधार था. श्री सुचारू का परिवार पश्चिम बंगाल के अम्बष्ठ जनपद, में जाकर बसे इस कारण अम्बष्ठ कहलाये.
३- चित्र (चित्राखया)- श्री चित्र तृतीय पुत्र थे. श्री चित्र का परिवार गौड़ देश (बंगाल) में जाकर बसे इस कारण गौड़ कहलाये.
४- मतिभान (हस्तीवर्ण)- श्री मतिभान चौथे पुत्र थे. उनका राशिनाम रामदयाल था. इनका परिवार निगम देश (काशी) में जाकर बसे इस कारण निगम कहलाये.
५- हिमवान (हिमवर्ण)- ये पांचवे पुत्र थे. उनका राशिनाम सारन्धार था. श्री हिमवान का परिवार गौड़ देश (बिहार) में प्राचीन करनाली नामक ग्राम में जाकर बसे इस कारण कर्ण कहलाये.
६- चित्रचारू – ये छठे पुत्र थे. इनका राशिनाम सुमंत था. श्री चित्रचारू का परिवार अष्ठाना देश (छोटा नागपुर) जो नाग्देश से भी प्रसिद्ध है में जाकर बसे इस कारण अष्ठाना कहलाए.
७- चित्रचरण- श्री चित्र्चरण सातवें पुत्र थे. उनका राशिनाम दामोदर था. श्री चित्रचरण का परिवार बंगाल में नदिया जो बंगाल की खाड़ी के ऊपर स्थित है, में जाकर बसे. सेवा की भावना के कारण अपने कायस्थ कुल में श्रेष्ठ माने गए. इस कारण कुलश्रेष्ठ कहलाये.
८- अतीन्द्रिय- श्री अतीन्द्रिय सबसे छोटे पुत्र थे. इनका राशिनाम सदानंद था. इनका परिवार बाल्मीकि देश (पुराना मध्य भारत) में जाकर बसे इस कारण बाल्मीकि कायस्थ कहलाये.
कश्मीर में दुर्लभ बर्धन कायस्थ वंश, काबुल और पंजाब में जयपाल कायस्थ वंश, गुजरात में वलभी कायस्थ राजवंश, दक्षिण में चालुक्य कायस्थ राजवंश, उत्तर भारत में देवपाल गौड़ कायस्थ राजवंश तथा मध्यभारत में सतवाहन और परिहार कायस्थ राजवंश सत्ता में रहे हैं. चित्रगुप्त के १२ पुत्रों का विवाह नागराज वासुकी की १२ कन्याओं से हुआ जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंशी मानी जाती है. माता नन्दिनी के ४ पुत्र कश्मीर में जाकर बसे तथा तथा एरावती एवं शोभावती के ८ पुत्र गौड़ देश के आसपास बिहार, ओडिशा तथा बंगाल में जा बसे. बंगाल उस समय गौड़ देश कहलाता था.
उपरोक्त लेख के कुछ अंश “वेबदुनिया” में प्रकाशित मूल लेख “हिन्दुओं के प्रमुख वंश….” के सम्पादित अंश हैं. मूल लेखक- अनिरुद्ध जोशी ‘शतायु”
सम्पादन – मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
अति सुन्दर एवं महत्वपूर्ण जानकारी