कल तक चांदपुर विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का दावा करने वाले एक नेताजी को अब भाजपा साम्प्रदायिक और श्री योगी आदित्यनाथ घोर जातिवादी नज़र आने लगे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो लोमड़ी के लिए अब अंगूर खट्टे हो गए हैं।
मामला कुछ यूं है कि एक नेताजी जो एक लंबे समय से भाजपा और योगी जी की गलबहियां कर रहे थे और टिकट के लिए हरसम्भव प्रयास कर रहे थे, कल हमसे फोन पर बोले कि- “यार शास्त्री जी, भाजपा साम्प्रदायिक पार्टी है और योगी घोर जातिवादी हो गए हैं।” जब हमने उन्हें कुरेदा तो सच्चाई कुछ और ही निकलकर सामने आई।
दरअसल, चांदपुर के कुछ राजनीतिक पंडितों और भाजपा के कुछ कर्मठशील नेताओं का मानना है कि 2022 में चांदपुर विधानसभा का टिकट वर्तमान विधायक श्रीमती कमलेश सैनी को ही मिलेगा। क्योंकि पिछली बार उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा प्रत्याशी मौहम्मद इक़बाल को काफी बड़े अंतर से हराया था और जीत का रिकॉर्ड बनाया था। और वह सर्वसमाज की नेता बनकर भी उभरी हैं।
लेकिन दूसरी तरफ़ एक अन्य धड़ा इस बात को लेकर ख़ासा आशंकित है कि इस बार श्रीमती कमलेश सैनी को टिकट मिलेगा और इसी आशंका ने कुछ नेताओं की आशाओं को पुनःजागृत कर दिया है।
वर्तमान में टिकट की दौड़ में मुख्यतया: तीन समाज के लोग शामिल हैं सैनी समाज, जाट समाज और राजपूत समाज। लेकिन लखनऊ से मिली अति गोपनीय जानकारी के अनुसार इस बार वैश्य समाज पर भी नजरें करम हो सकता है।
इस विषय में जब हमने भाजपा के एक बेहद वरिष्ठ और कद्दावर नेता से फोन पर बातचीत की, तो उन्होंने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि “इस बार कई लोगों के टिकट काटे जाएंगे, और प्राथमिकता उन लोगों को दी जाएगी जिनके कार्यकाल से जनता संतुष्ट दिखाई देगी अथवा वह लोग जो सर्वसमाज को साथ लेकर चलने में सक्षम होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि टिकट बंटवारे का निर्णय काफी हद तक क्षेत्र की जनता, स्थानीय कार्यकर्ताओं के रुख़ और विपक्ष की रणनीति को देखते हुए लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त भी कई और परिस्थितियों का बारीकी से आंकलन किया जाएगा। क्योंकि इस बार पार्टी हर कदम बहुत फूंक-फूंक कर रखेगी।”
नेताजी की इस बात से हमें यह आभास हो रहा है कि 2022 में किसी की भी लॉटरी खुल सकती है। फ़िलहाल वैश्य समाज के एक-दो नेताओं के दावे को भी काफ़ी मज़बूत माना जा रहा है। उधर जाट समाज भी आशान्वित है। लेकिन अभी तक चर्चा सैनी समाज की ही ज़्यादा है। इसलिये सबसे अधिक हाथ-पैर सैनी समाज के लोग ही मार रहे हैं।
लेकिन लखनऊ और दिल्ली से जो ईशारे मिल रहे हैं, उनसे कहानी कुछ और ही नज़र आ रही है।
बहरहाल, ये तो आने वाले समय में तय होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा, लेकिन अगर किसी कारण से श्रीमती कमलेश पर कोई गाज गिरी तो किसी की भी लॉटरी खुल सकती है।आगे-आगे देखिए होता है क्या। अभी तो आगाज़ है, अंजाम तो अभी दूर है।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
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