श्री रामायण में प्रभु श्रीराम का माता-पिता के प्रति श्रद्धाभाव, माता सीता की पवित्रता और पतिव्रत का पालन, श्री लक्ष्मण का भातृप्रेम, भगवान हनुमान की भक्ति और महाराज रावण की विद्वता का भान सभी को भलीभांति है, परन्तु क्या कभी किसी ने श्री लक्ष्मण की धर्मपत्नी के त्याग और उनकी तपस्या पर भी विचार किया। क्या कभी ने विचारा कि धर्म की रक्षा हेतु 14 वर्षों तक लक्ष्मण और उनकी पत्नी कैसे विरह की अग्नि में जलते रहे होंगे। माता सीता तो अपने पति के वचनों से बंधी थीं और श्रीराम अपने पिता के वचनों का पालन कर रहे थे परन्तु श्री लक्ष्मण और उनकी धर्मपत्नी उर्मिला तो केवल अपने राष्ट्रधर्म का पालन कर रहे थे। क्योंकि श्रीराम न केवल लक्ष्मण के भाई थे अपितु वह अयोध्या के होने वाले राजा भी थे। और उनकी रक्षा करना लक्ष्मण का राष्ट्रधर्म भी था। उर्मिला ने न केवल पतिधर्म का पालन किया अपितु उसने भी राष्ट्रधर्म कर लिए अपने वैवाहिक सुख का परित्याग कर दिया।
आज कलियुग में क्या नरेंद्र मोदी और जसोदाबेन उसी राष्ट्रधर्म का पालन नहीं कर रहे? राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना ने ही श्री मोदी को अपने वैवाहिक सुख से वंचित कर दिया। श्री मोदी ने राष्ट्रहित के लिए अपनी समस्त इच्छाओं और इन्द्रिय सुखों का परित्याग कर दिया। हम यहाँ श्री मोदी और जसोदाबेन की तुलना श्री लक्ष्मण और उनकी धर्मपत्नी उर्मिला से नहीं कर रहे हैं, परन्तु यह निश्चित है कि राष्ट्रधर्म निभाने के लिए दोनों का ही त्याग लगभग एक जैसा ही है।
आजकल सोशल मीडिया और आमिर खान-किरण राव के सम्बन्धों को लेकर काफी चर्चाएं हैं। कुछ कमअक्ल लोग इन सम्बन्धों को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती जसोदाबेन वैवाहिक जीवन से जोड़कर अनर्गल टिप्पणियां कर रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है कि जब मोदी के अन्धविरोधी उनके जसोदाबेन से वैवाहिक संबंधों को लेकर टीका-टिप्पणी कर रहे हैं, बल्कि इससे पूर्व में भी तीन तलाक के मुद्दे पर भी सोशल मीडिया पर कुछ इसी तरह की अनर्गल टिप्पणियों की भरमार रही थी। आमिर खान जैसे “फिल्मी नायक” का यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे “राष्ट्रनायक” से भला क्या मुकाबला जा सकता है। यहां यह भी समझना आवश्यक है कि सनातन संस्कृति में विवाह कोई दो लोगों के बीच हुआ करारनामा या कॉन्ट्रैक्ट नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक गठजोड़ है। सनातन संस्कृति में पति-पत्नी के बीच एक पवित्र बंधन होता है, जो जन्म-जन्मांतर के लिए बांधा जाता है। सनातन धर्म में पत्नियां रखी जाती हैं, बांदियाँ नहीं।
आमिर खान और किरण राव के सम्बंध केवल शारीरिक आकर्षण और व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति हेतु किया गया एक समझौता मात्र था, जिसको अंततः टूटना ही था। ऐसे घटिया और स्वार्थी समझौतों की तुलना विवाह जैसे पवित्र बंधन से करना भी भारतीय सनातन संस्कृति का घोर अपमान है। सच तो यह है कि जो लोग चंद सिक्कों के लिए बिस्तर बदलते हों उन्हें पति-पत्नी जैसे पवित्र रिश्ते से पुकारना भी उस रिश्ते का घोर अपमान है।
“एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो आमिर खान।”
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
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*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।
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February 6, 2024