इमरान शेख़ जिन्होंने पिछली बार नगरपालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था और काफी समय तक बीएसपी में रहे, 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी, अब वही आजाद समाज पार्टी का झण्डा बुलन्द करने में लगे हैं। इमरान शेख़ का आजाद समाज पार्टी की सदस्यता लेने के पीछे क्या उद्देश्य है, इसपर राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हो रही है। दरअसल इमरान शेख़ का सीधा सम्बंध पूर्व विधायक इक़बाल ठेकेदार से माना जाता है, हालांकि खुद इक़बाल ठेकेदार अभी भी खामोश हैं और उन्होंने किसी भी पार्टी की सदस्यता नहीं ग्रहण की है।
अब राजनीतिक पंडितों का मानना है कि क्या इक़बाल साहब भी आजाद समाज पार्टी की ओर दिलचस्पी ले रहे हैं?
यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, लेकिन इस विषय में इक़बाल समर्थक चुप्पी साधे हैं, जबकि खबर मिली है कि आजाद समाज पार्टी के वज़ीर माने जाने वाले पूर्व विधायक मौहम्मद गाजी और मौहम्मद इक़बाल के बीच पार्टी स्थापना से पहले एक मुलाकात हुई थी जिसपर काफी शोर-शराबा मचा था और लगभग यह तय मान लिया गया था कि इक़बाल साहब और रावण के मिलन का समय आ चुका है, लेकिन खुद इक़बाल साहब ने इन तमाम अटकलों पर लगाम कस दी थी।
अब एक बार फिर से शहर में यह विषय चर्चा का सबब बना हुआ है। लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि यह सब कोरी अफवाहें ही हैं, जिनका कोई आधार नहीं है, अलबत्ता ये हो सकता है कि इमरान शेख़ विधानसभा का टिकट मांगने की कोशिश में लगे हों।
हालांकि इमरान शेख़ के खास सलाहकार इसरार मलिक का कहना है कि “हमारा लक्ष्य चेयरमैन का चुनाव लड़ना है, और मौहम्मद इक़बाल हमारे गुरु हैं, उनके सामने हम विधानसभा चुनाव में खड़े होने का सोच भी नहीं सकते”।
हमारा मानना है कि कोई बड़ा दांव खेला गया है, या फिर खेले जाने की तैयारी है। फिलहाल कुछ तो है, जिसकी पर्देदारी है। या कहीं गुरु गुड़ और चेला चीनी तो नहीं हो गया?