देश में चल रही “जिन्ना की आजादी” की राष्ट्रद्रोही विचारधारा से जानबूझकर अनजान बने जो लोग अपने खाने, कमाने और घर में बैठकर सास-बहु के सीरियल देखने में लगे हैं, उनकी मानसिकता ही गुलाम हो चुकी है. वह संघर्ष करना नहीं चाहते, और न ही किसी ऐसे व्यक्ति के साथ खड़े रहना चाहते हैं, जो उनके अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. प्रकृति का एक सिद्धांत है कि जो संघर्ष नहीं करता वह जीवित नहीं रहता है, संघर्ष ही जीवन है. हमेशा याद रखो इज्जत और आजादी के दो पल, गुलामी और जिल्लत की पूरी जिन्दगी से बेहतर हैं.
आज इस देश में जो कुछ भी हो रहा है उससे आप अनजान नहीं हैं. अब आपको तय कर लेना ही चाहिए कि आप किसके साथ खड़े हैं-
- भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाने की तैयारी कर रहे नरेन्द्र दामोदर मोदी के साथ हैं या सम्पूर्ण विश्व को आतंकी बनाने वाले डॉ. जाकिर नायक के साथ?
- CAA (नागरिकता संशोधन कानून) के विरोध की आड़ में इस देश को फिर से गुलाम बनाने वाले पप्पूभक्त, बाबरभक्त और जिन्नाभक्तों के साथ या पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश की कैद से दलित हिन्दू भाइयों को आजाद करने के लिए संघर्ष कर रहे देशभक्तों के साथ?
- हमारी सनातन संस्कृति की स्वतंत्रता के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के भक्तों के साथ या हमारी गुलामी के चिन्ह बनी बाबरी मस्जिद की मांग पर अड़े बाबरभक्तों के साथ?
- धारा ३७० हटाकर कश्मीर को स्वतंत्र करने वालों के साथ या “फ्री कश्मीर” का नारा लगाकर कश्मीर को पुनः गुलाम बनाने की मांग करने वालों के साथ?
- हमारी रक्षा के लिए जान देने वाले हजारों वीर सैनिकों के साथ या अफजल गुरु, याकूब मेमन और बुरहान वाणी को शहीद बताने वालों के साथ?
- भारतीय सेना को सम्मान देने वालों के साथ या भारतीय सेना को गली का गुंडा बताने वालों के साथ?
- बाबा भीमराव अम्बेडकर के बनाये हुए संविधान के साथ या शरियत कानून को थोपने की कोशिश करने वालों के साथ?
- भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाले आरएसएस के साथ या भारतीय संस्कृति को नष्ट करने वाले पौपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के साथ?
- साधू-संतों का आदर-सत्कार करने वालों के साथ या साधू-संतों को आतंकवादी घोषित करने वालों के साथ?
- याकूब मेमन-अफजल गुरु को फांसी देने वालों के साथ या मोदी-शाह को गुजरात का कातिल बताकर फांसी की मांग करने वालों के साथ?
- वंदेमातरम् गाने वालों के साथ या कश्मीर के आतंकियों को क्रांतिकारी बताने वालों के साथ?
फैसला आपको करना है. आप इज्जत के दो पल चाहते हैं या जिल्लत की पूरी जिन्दगी.