इसौली से समाजवादी पार्टी के विधायक अबरार अहमद साहब का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें वह *ब्राह्मण और क्षत्रिय जाति के मतदाताओं को *’चोट्टा’* बोलते हुए सुने जा सकते हैं. अबरार अहमद ने इस वीडियो में कहा कि- *चुनाव जीतने के लिए उन्हें ब्राह्मणों और क्षत्रियों के वोट की जरूरत नहीं है. उनके बिना भी वह जीत सकते हैं.* वह आगे कह रहे हैं कि *”मुसलमान ही उनके वास्तविक वोटर्स हैं.”*
यहां मज़े की बात यह है कि इस प्रकार के समाज को तोड़ने और साम्प्रदायिक विद्वेष को बढ़ाने वाले बयान देने वाले सपा नेता अबरार अहमद साहब की ज़बान पर आखिरकार सच आ ही गया। शायद सच यही है कि आजकल उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी मुस्लिम लीग की भूमिका निभा रही है। दरअसल, समाजवादी पार्टी में ब्राह्मण और क्षत्रिय सहित अन्य वर्ग के वोटों की गिनती होती ही नहीं है। वहां तो केवल एक वर्ग विशेष और जाति विशेष के वोटों को ही गिना जाता है, बाकी तो बस लुभाव के वोट माने जाते हैं।
वैसे सपा विधायक ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज पर उंगली उठाने से पहले यह भूल गए कि तीन उंगलियां उनकी ओर भी उठ रही हैं। समाज को तोड़ने और साम्प्रदायिक विद्वेष का ज़हर फैलाने से पहले अबरार अहमद साहब ने अगर किसी विद्वान से सलाह ली होती तो शायद ऐसे घटिया और शर्मनाक बयान देने से बच जाते।
प्राचीन साहित्यों से पता चलता है कि क्षत्रिय वर्ण आनुवंशिक नहीं था और यह किसी जाति विशेष से सम्बंधित नहीं था। जातकों, रामायण और महाभारत ग्रंथों में क्षत्रिय शब्द से सामंत वर्ग और युद्धरत अनेक जातियां जैसे अहीर, गड़ेडिया, गुर्जर, मद्र, शक आदि का भी वर्णन हुआ है। वास्तव में क्षत्रिय समस्त राजवर्ग और सैन्य वर्ग का प्रतिनिधित्व करता था। क्षत्रिय वर्ग का मुख्य कर्तव्य युद्ध काल में समाज की रक्षा के लिए युद्ध करना तथा शांति काल में सुशासन प्रदान करना होता था। अर्थात शासन और प्रशासन चलाने वाला प्रत्येक व्यक्ति और सेना और सुरक्षा बल का प्रत्येक जवान “क्षत्रिय” ही है।
जातियों की बात करें तो चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण।
भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान
चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण.।।”
अर्थ:-दस सूर्यवंशीय क्षत्रिय, दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है, बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का प्रमाण मिलता है।
सूर्यवंशी, यदुवंशी, चौहान, सिसौदिया, सोलंकी , तोमर, गुर्जर, जाट, कुर्मी, राजभर आदि यह सभी जातियां क्षत्रिय समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं।
जहां तक ब्राह्मण समाज का विषय है तो ब्राह्मण हिन्दू वर्ण व्यवस्था का एक वर्ण है। … यस्क मुनि की निरुक्त के अनुसार, ब्रह्म जानाति ब्राह्मण: अर्थात् ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है “ईश्वर का ज्ञाता”।
अबरार साहब को यह समझना चाहिए कि उनकी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव जिस यदुवंश से आते हैं वह क्षत्रिय वर्ण का ही है।
दूसरी मज़े की बात यह है कि एक तरफ़ सपा प्रमुख ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज को अपने पक्ष में एकजुट करने के प्रयास में जगह-जगह “प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन” कर रहे हैं, और दूसरी तरफ उनकी ही पार्टी के कुछ निर्बुद्धि अर्थात मूढ़बुद्धि नेता उनकी मेहनत पर पानी फेरने में लगे हैं। यह तो वही कहावत हुई कि “मां फिरे चोथी-चोथी और पूत बिटौड़े बख़्श रहा है”. मतलब यह है कि मां उपले बनाने के लिए जगह जगह से गोबर चुगती फिर रही है, और पूत बिटौड़े बख़्श रहा है।
लगता है कि समाजवादी पार्टी पर कांग्रेस की छाया पड़ गई है, और समाजवादी में भी “पप्पू” पैदा हो गए हैं, जो कि अपने “पप्पू ब्रांड वक्तव्यों” से समाजवादी पार्टी के किये कराए पर पानी फेरने में लग गए हैं। श्री अखिलेश यादव को इन समाजवादी पप्पुओं से चौकस रहने की परम आवश्यकता है।
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🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
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