मीडिया सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया श्री अखिलेश यादव ने कहा- ”पहले तो मैं जवाब दे दूं, बीजेपी वालों से बड़े हिंदू हम हैं। उनकी जो परिभाषा है हिंदू वाली, वह हमें नहीं चाहिए, जो नफरत फैलाती हो, लड़ाती हो समाज को बांटती हो़, हम उनसे बड़े हिंदू हैं। जहां तक भगवान की पूजा की बात है, आप सैफई का दिखाइए, हमारा जन्म तो अभी हुआ, हमारे यहां मंदिर तो हमारे जन्म से पहले के हैं। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) हनुमान जी की पूजा ना जाने कब से करते आए हैं, तो हम हैं ही नहीं हिंदू, केवल भारतीय जनता पार्टी हिंदू है? जो पाप करे वह हिंदू है?”
माननीय अखिलेश यादव ने हिंदुओं की एक नई परिभाषा को जन्म दिया है – “जो पाप करे वह हिन्दू है।” सही है, इसके अलावा उनसे कोई और उम्मीद रखनी भी नहीं चाहिए। अखिलेश जी के परम मित्र श्री राहुल गांधी “हिंदुओं को आतंकी” मानते हैं और अब अखिलेश जी ने अप्रत्यक्ष रूप से “हिंदुओं को पापी” बना दिया है।
श्री अखिलेश यादव कहते हैं कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) हनुमान जी की पूजा एक लंबे समय से करते आये हैं. अखिलेश जी आप “बड़े हिन्दू” हैं इसलिए आप जानते होंगे कि हनुमान जी प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे। अखिलेश जी शायद आपको याद हो कि माननीय नेताजी ने नवम्बर 1990 को श्रीरामभक्तों पर अंधाधुध गोलियां चलवाईं थीं। कोई भी हनुमान भक्त शायद ऐसा कभी नहीं कर सकता था, जैसा माननीय श्री मुलायम सिंह यादव ने किया था। क्या आप इससे सहमत हैं?
श्रीमान अखिलेश जी आपका यह कहना है कि- “उनकी (भाजपा) जो परिभाषा है हिन्दू वाली, वह हमें नहीं चाहिए, जो नफरत फैलाती हो, लड़ाती हो, समाज को बांटती हो, हम उनसे बड़े हिन्दू हैं।
अब प्रश्न यह है कि “बड़े हिन्दू” की क्या परिभाषा है? क्या “बड़ा हिन्दू” वह है जो सिर पर जालीदार टोपी लगाकर, गले में बड़ा सा रुमाल डालकर घुटनों के बल बैठकर रोज़ा अफ्तारी करता हो? क्या वह “बड़ा हिन्दू” है जो आतंकियों को छुड़ाने के लिए दिन-रात एक कर देता हो और हाईकोर्ट से फटकार खाता है। क्या “बड़ा हिन्दू” वह है जो केवल एक वर्ग विशेष की बेटियों को ही अपनी बेटियां मानता है? क्या बाबरी मस्जिद के ख़ास पैरोकार जफरयाब जिलानी साहब का ख़ास दोस्त होना “बड़ा हिन्दू” होने की पहचान है? क्या दंगा पीड़ितों को कड़ाके की ठंड में ठिठुरते हुए छोड़कर सैफई महोत्सव में “नाच-गाने” की गर्मी लेना “बड़ा हिन्दू” होने की पहचान है? हजारों-लाखों हिंदुओं का क़त्लेआम और हिन्दू महिलाओं की इज़्ज़त-आबरू लूटने वाले मुगल बादशाहों की नापाक मानसिकता के प्रतीक चिन्हों को सहेजने हेतु “मुगल म्यूजियम” बनाना “बड़ा हिन्दू” होने की पहचान है? क्या भगवा रंग से नफ़रत करने वाले “बड़ा हिन्दू” होते हैं, या फिर जय श्रीराम के नारे से जिनके कानों में विष घुलता हो उन्हें हम “बड़ा हिन्दू” कह सकते हैं।
श्रीमान अखिलेश यादव को चाहिए कि वह “बड़ा हिन्दू” होने की परिभाषा को और अधिक सुस्पष्ट और व्यवस्थित तरीके से उत्तरप्रदेश की जनता के ” छोटे हिंदुओं” के समक्ष प्रस्तुत करें। क्योंकि जनता इस शब्द को लेकर बेहद “कन्फ्यूजन” की स्थिति में है। आप बेहतर तरीके से इस शब्द की व्याख्या कर सकते हैं साहब, क्योंकि आप तो “बड़े वाले” हैं, हम ठहरे “छोटे से हिन्दू”।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
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